tag:blogger.com,1999:blog-2884304106935092475.post6831753402543334341..comments2023-09-04T15:38:27.814+02:00Comments on साहित्य गोष्ठी: पंजाब: कल्चर और एग्रीकल्चरRitu Bhanothttp://www.blogger.com/profile/08380555616585570261noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2884304106935092475.post-13472153968049030562009-08-20T13:05:33.372+02:002009-08-20T13:05:33.372+02:00ॠतु जी
आपकी पोस्ट का टायटल देखकर ही आपकी पोस्ट ...ॠतु जी<br /><br />आपकी पोस्ट का टायटल देखकर ही आपकी पोस्ट पर आयी। मुझे लगता है कि आपने भी संस्कृति का अर्थ नहीं समझा, यदि समझ लेती तो इस मजाक वाली उक्ति को यूं ना लेती। संस्कृति का अर्थ होता है प्रकृति को संस्कारित करना। अर्थात मानसिक रूप से समर्थ होना। पंजाब जितना सुसंस्कृत है उसके लिए किसी उदाहरण की आवश्यकता नहीं है। वास्तविक संस्कृति यहीं बसती है। हमारी संस्कृति का मूल मंत्र है कि हम अपने आपको इतना संस्कारित करेंगे कि इस चराचर जगत का संरक्षण करने में सक्षम बने। पंजाब हमारा सरमौर है। किसी सिरफिरे ने कुछ कह दिया और आपने दिल से लगा लिया। एक बार मैं गंगानगर गयी थी और अभी दो दिन पहले ही पंजाब जाकर आयी हूँ, वहाँ पर भी एक राजनेता ने ऐसी ही टिप्पणी कर दी थी कि लोग हमारे बारे में ऐसा कहते हैं। तब मैंने कहा था कि हम अन्न उपजाते है और सारे संसार का पेट पालते हैं, हमारे यहाँ परिवार प्रथा आज भी न केवल जीवित है अपितु स्वस्थ रूप से है। अत: सच्ची संस्कृति तो पंजाब में ही शेष है। मेरे इस कथानक को प्रेस ने बाक्स बनाकर छपा था। आप निराश न हो, हमें पंजाब पर गर्व है, और प्रत्येक भारतवासी को है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com