पल-पल का छल कैसा यह छलिया
छन-छन1 छलके इन हाथों से,
छलनी-सा जीवन यह छलिया
कि छन जाएं सुख-दुख नैनन से ।
तेरे प्यार में राधा बन जाऊँ
और छले बंसी से तू छलिया,
धूप-छाँव का खेल यह जीवन
रस छलकाती तेरी बंसुरिया ।
घने-घनेरे इस वन में
मधु-भरे महकते जीवन में
पौन2 का झूला झूलें हम-तुम
रहे अनंत वसंत औ'3 मधुबन ।
1क्षण-क्षण
2पवन
3और
Distinct Kashmiri Cremation
5 years ago
2 comments:
Excelleeeeeeennntt. Such a beautiful poetry....after so so long.
Keep going.
Thanks :-)
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