जीवन की राह पर
चलते-चलते
सपने से मिले थे हम,
अपने से मिले थे हम ।
ख़ामोशी की दीवार भी थी,
एक आँसू की धार भी थी ।
कसक-सी थी बिछुड़ने की,
उम्मीद मगर थी उड़ने की ।।
वो पल
जब आत्माओं ने सच स्वीकारा था,
जो आसमां का इशारा था,
उस पल में हम खो गए थे
हाँ, तुम्हारे हो गए थे ।।
फिर कितने बरस की दूरी थी,
मिलने की आस अधूरी थी ।
तुम आते थे सपनों में,
थे अकेले हम अपनों में ।।
बस उस पल की
धरोहर है जीवन ।।
© 02 August, 2009
Not Yet
5 years ago
6 comments:
मिलन का एक लम्हा ही जीवन है......... अच्छा लिखा है .स्वागत है आपका
सुन्दर अभिव्यक्ति. जारी रहें.
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कृपया यहाँ भी विजिट करें.
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अच्छी शुरूआत...
शुभकामनाएं....
सपनो में अपनो से मिलना और आँसू की धार।
उस पल में खोने का अनुभव अच्छा लगा विचार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
रितु जी,कविता में वर्णन अच्छा लगा
प्रोत्साहन भरी शुभकामनाओं के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद ।
ऋतु
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