Tuesday, May 24, 2016

पितृ

प्रति श्वास
प्रति स्पंदन
पिता,
करूँ मैं तव चरणन में नमन,
तव प्रेम-रचित
कृति
श्रद्धा-निहित मति,
तव स्नेह अह्लादित मम् मन ।
वेद प्रथम तव स्वर सुने,
सीखी संस्कृति-संस्कृत तुम्हीं से,
विज्ञान-ज्ञान सागर तुम्हीं,
हम मात्र सागर की लहर हैं,
द्वितीय प्रहर हो रात्रि का,
या हो कड़कती धूप पिता,
हो पाठ गणित या क्रीड़ा का,
रहे पथ-प्रदर्शक तुम सदा ।
प्रति श्वास
प्रति स्पंदन
पिता,
करूँ मैं तव चरणन में नमन ।

No comments: