Monday, July 17, 2017

छल कैसा यह छलिया ?

पल-पल का छल कैसा यह छलिया ?
छन-छन1 छलके इन हाथों से,
छलनी-सा जीवन यह छलिया
कि छन जाएं सुख-दुख नैनन से ।

तेरे प्यार में राधा बन जाऊँ
और छले बंसी से तू छलिया,
धूप-छाँव का खेल यह जीवन
रस छलकाती तेरी बंसुरिया ।

घने-घनेरे इस वन में
मधु-भरे महकते जीवन में
पौन2 का झूला झूलें हम-तुम
रहे अनंत वसंत औ'3 मधुबन ।




1क्षण-क्षण
2पवन
3और


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