Wednesday, July 26, 2017

मेरा सपना – कथा मेरे कश्मीर की

मेरा घर मेरा सपना है,
वह घर जो मेरा अपना है ।
खंडहर कहते कथा हमारी,
है ओर उद्गम के लौटने की अब तैयारी ॥१॥

मोती मेरी आँखों के
हैं भूल गयी दुनिया सारी,
है सोना प्यारा इस जग को
मेरी लुटी नींद थी कम प्यारी ॥२॥

यह मेरी कथा कश्मीर की
काश मीर कोई समझे इसको ,
है लहू लाल इस जग में सबका
मेरी आँखों से बहता क्या दिखा किसी को ॥।३॥

सन्नाटा चहुँ ओर,
क्या दिखा कोई चोर ?
पकड़ा कब किसी ने
जब दिखा वह चोर ?

मेरा घर मेरा सपना है,
वह घर जो मेरा अपना है ।
खंडहर कहते कथा हमारी,
है ओर उद्गम के लौटने की अब तैयारी ॥१॥

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