आज सावन बरसे है यूं
ज्यों खुशियों का आवन हो,
झूम-झूम मन मयूर नाचे यूं
जैसे पी का आगमन हो ।
आज कुमुदिनी के खिलने का दिन है
कहतीं हैं नदिया की लहरें
तभी तो रिमझिम बरसे है
टूटें हैं पवनों के पहरे ।
एक लहर-सी आई है झूम के
आसमां को चूम के
पर्वतों को पार कर
आज समय की धार पर ।
यह प्रकृति का संगीत है
फूलों का मधुमय गीत है,
दिल में दबी एक आग है
या मल्हार राग है?
देखो जन्मदिन पर तुम्हारे
आए हैं मिल कर यह सारे
दिल में भर कर प्यार
लाए हैं खुशियों का उपहार ।
साल-दर-साल आएगा
यह दिन खुशियां बरसाएगा,
चलता रहेगा यह सफ़र
हाँ, समय की ताल पर ।
© 21 july 2009
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