Friday, December 16, 2011

आँसू

अचानक
बिन बुलाए मेहमान-से
आँखों में ठहर-से गए,
ठंड से जम गए जो
गालों के गुलाबों पे ,
लगीं जो चटकने
पलकों की कलियाँ ।

जो घड़ियां इंतज़ार की
हिमालय हुईं,
लम्हों से घंटे
घंटो से दिन जो
बनने लगे,
ख़ामोश दिल ने
कहा फिर किसी से,
आओ,
ठहरो,
बैठो
एक पल पास मेरे ।

कुछ कहो दिल की
कुछ सुनो दिल से
या आँखों को कहने दो
अपनी कहानी ।